सरहुल के मौके पर पारंपरिक नृत्य और गीतों से गूंजेगा झारखंड
सरहुल पूजा 2025:
एक अप्रैल को सरहुल पर्व भक्तिभाव और धूमधाम के साथ मनाया जाएगा। झारखंड में सरहुल के मौके पर पारंपरिक नृत्य और गीतों की खास भूमिका होती है।
शोभायात्रा के दौरान लोग झूमर, पाहाड़िया और लोक नृत्य करेंगे। महिलाएं लाल पड़ा और सफेद साड़ी में तो पुरुष धोती-कुर्ता पहनकर पारंपरिक शैली में नजर आएंगे।
सखुआ के फूलों से सजे हुए मुकुट और रंग-बिरंगे पारंपरिक परिधान शोभायात्रा को और आकर्षक बनाएंगे।
सरहुल के मौके पर पूरा झारखंड पारंपरिक नृत्य और गीतों से गूंजेगा।
संस्कृति और परंपरा को संरक्षित करने का लेंगे संकल्प –
आदिवासियों का प्रमुख त्योहारों में से एक सरहुल केवल एक धार्मिक त्योहार नहीं, बल्कि आदिवासी समाज की संस्कृति और एकता का प्रतीक है।
इस पर्व के माध्यम से नई पीढ़ी को अपनी परंपराओं और रीति-रिवाजों से जोड़ने का प्रयास किया जाता है।
आदिवासी संगठनों ने इस अवसर पर पर्यावरण संरक्षण और जल, जंगल, जमीन बचाने का संदेश देने की योजना बनाई है।
सरहुल पर्व के मौके पर विशेष भोग तैयार किया जाता है। जिसमें मड़ुआ की रोटी, महुआ, हंडिया और अन्य पारंपरिक व्यंजन शामिल होते हैं।
कई स्थानों पर सामूहिक भोज का भी आयोजन किया जाएगा, जिसमें समाज के सभी वर्गों के लोग एक साथ भोजन कर एकता और भाईचारे का संदेश देंगे।
सरहुल पर्व की शुभकामनाएं देने का दौर शुरू –
सरहुल पर्व को लेकर शुभकामनाएं देने का दौर शुरू हो गया है। झारखंड सरकार और विभिन्न जनप्रतिनिधियों ने राज्यवासियों को शुभकामनाएं दी हैं।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सरहुल पर्व की बधाई देते हुए कहा कि सरहुल झारखंड की संस्कृति और परंपरा का अहम हिस्सा है और हमें इसे संरक्षित और संवर्धित करने की जरूरत है। उन्होंने जोहार झारखंड कह के भी संबोधित किया है।