कांग्रेस में अब टिकट मिलना नहीं होगा आसान- युवाओं और ज़मीनी कार्यकर्ताओं को मिल सकता है मौका
कांग्रेस न्यूज:
कांग्रेस पार्टी में अब टिकट हासिल करना पहले जितना आसान नहीं रहेगा। बदलते समय और सियासी हालात को देखते हुए पार्टी हाईकमान ने लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए उम्मीदवार चयन की प्रक्रिया में बड़ा बदलाव किया है।
इस फैसले का असर पार्टी के अंदरूनी समीकरणों पर भी पड़ेगा और कई दिग्गजों की राह मुश्किल हो सकती है।
“जनता का नेता, संगठन का सच्चा सिपाही” का मूल मंत्र अपनाने की तैयारी
पार्टी के सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस नेतृत्व ने यह फैसला हाल के चुनावों में लगातार हो रही हार एवं संगठन में पनप रहे असंतोष और जनता से टूटते जुड़ाव को देखते हुए लिया है।
कई राज्यों में पार्टी को जमीनी स्तर पर समर्थन नहीं मिल रहा और पुराने नेताओं पर ‘डिस्कनेक्टेड’ होने के आरोप लगते रहे हैं। ऐसे में पार्टी अब “जनता का नेता, संगठन का सच्चा सिपाही” जैसे मूलमंत्र के आधार पर टिकट बांटेगी।
किन नेताओं पर मंडरा रहा खतरा?
हालांकि पार्टी ने औपचारिक तौर पर किसी नाम की पुष्टि नहीं की है। लेकिन अंदरखाने की चर्चाओं के मुताबिक़ वे नेता जो चुनाव हार चुके हैं, संगठन में निष्क्रिय हैं या जनता से जुड़े नहीं हैं, उनकी टिकट कट सकती है। कुछ वरिष्ठ नेताओं को रिटायरमेंट का संकेत भी दिया जा सकता है।
यह माना जा रहा है कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा पार्टी में नई सोच और नई पीढ़ी को आगे लाने के पक्षधर रहे हैं। राहुल पहले भी कह चुके हैं कि पार्टी में सिर्फ नाम और विरासत से टिकट नहीं मिलने चाहिए, बल्कि काम और योगदान ही असली पहचान होना चाहिए।
नई प्रक्रिया में क्या होगा खास?
1.तीन-स्तरीय मूल्यांकन: अब किसी भी दावेदार को टिकट देने से पहले तीन स्तरों पर परखा जाएगा – संगठन में योगदान, जनमानस में पकड़ और ज़मीनी सक्रियता।
2.फीडबैक सिस्टम: ब्लॉक और जिला स्तर से लेकर राज्य स्तर तक कार्यकर्ताओं और जनता से फीडबैक लिया जाएगा।
3.एंटी-इनकंबेंसी और प्रदर्शन रिपोर्ट: जिन विधायकों या सांसदों का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहा, उन्हें टिकट से वंचित किया जा सकता है।
4.युवाओं और महिलाओं को प्राथमिकता: पार्टी अब युवाओं, महिलाओं और नए चेहरों को अधिक मौका देने की तैयारी में है।