जंगलों में छिपा दुर्लभ जानवर पैंगोलिन, संरक्षण के अभाव में लुप्त होने का खतरा

Rohit Baraik
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जंगलों में छिपा दुर्लभ जानवर पैंगोलिन, संरक्षण के अभाव में लुप्त होने का खतरा

पैंगोलिन (pangolin):
झारखंड के सिमडेगा जिले के घने जंगलों में एक ऐसा रहस्यमयी जीव पाया जाता है, जिसे यहां के स्थानीय ग्रामीण ‘कहट’ के नाम से जानते हैं।

यह कोई साधारण जीव नहीं, बल्कि दुनिया का सबसे ज्यादा तस्करी किया जाने वाला स्तनपायी प्राणी पैंगोलिन है।

अवैध शिकार और तस्करी के कारण इसकी संख्या तेजी से घट रही है, और यदि संरक्षण के उपाय नहीं किए गए, तो यह दुर्लभ जीव सिमडेगा के जंगलों से पूरी तरह गायब हो सकता है।

रात का राजा: पैंगोलिन की रहस्यमयी दुनिया –

पैंगोलिन एक बेहद शर्मीला और रहस्यमयी जीव है, जो दिन के समय जंगलों में छिपा रहता है और रात होते ही बाहर निकलता है।

ग्रामीणों के अनुसार, यह ज्यादातर दीमक और चींटियां खाने के लिए जाना जाता है। इसकी जीभ लगभग चार से पांच फीट तक लंबी हो सकती है, जिससे यह आसानी से चींटियों और दीमकों को खा लेता है।

इसे छूने या डराने की कोशिश की जाए, तो यह तुरंत अपने शरीर को गोलाकार बना लेता है और अपने कठोर शल्कों से खुद को सुरक्षित कर लेता है।

छोटे डायनासोर जैसी बनावट, लेकिन बेहद शर्मीला स्वभाव –

दूर से देखने पर पैंगोलिन किसी छोटे डायनासोर जैसा प्रतीत होता है। इसके शरीर पर कठोर और मजबूत कैरोटीन युक्त शल्क (स्केल्स) होते हैं, जो इसे शिकारियों से बचाते हैं।

यह दुनिया के कुछ गिने-चुने प्राणियों में से एक है, जिनका शरीर पूरी तरह शल्कों से ढका होता है।

पैंगोलिन की सबसे खास बात यह है कि यह इंसानों के सामने आते ही खुद को सिकोड़ लेता है और ऐसा लगता है जैसे वह खुद को गायब कर लेना चाहता हो।

सिमडेगा में पहले थी अच्छी संख्या, अब हो गया है दुर्लभ –

स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, पहले पैंगोलिन (कहट) को सिमडेगा के जंगलों में अक्सर देखा जाता था। लेकिन अब यह दुर्लभ होता जा रहा है।

हाल ही में जलडेगा और ओडिशा के सीमावर्ती इलाकों में कुछ ग्रामीणों ने इसे देखा था, लेकिन पहले की तुलना में इसकी संख्या बेहद कम हो गई है।

ग्रामीणों का कहना है कि यह जीव अब जंगलों में मुश्किल से दिखाई देता है, जिससे यह साफ है कि इसकी आबादी तेजी से घट रही है।

तस्करों की नजर, लाखों में होती है अवैध बिक्री –

पैंगोलिन की दुर्लभता ही उसकी सबसे बड़ी परेशानी बन चुकी है। इसकी तस्करी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर की जाती है, और इसकी कीमत लाखों रुपये तक हो सकती है।

पैंगोलिन के शल्क, हड्डियां और मांस कई देशों में पारंपरिक दवाइयां बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं।

चीन और वियतनाम में इसकी सबसे ज्यादा मांग है, जहां इसे औषधीय गुणों वाला माना जाता है। इसके मांस को स्वादिष्ट और ताकतवर बनाने वाला समझकर ऊंची कीमतों पर बेचा जाता है।

वन विभाग की चेतावनी: तस्करों पर होगी सख्त कार्रवाई –

वन विभाग ने पैंगोलिन के अवैध शिकार और तस्करी पर कड़ी नजर रखनी शुरू कर दी है। विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पैंगोलिन एक संरक्षित जीव है और इसका शिकार या व्यापार करना गैरकानूनी है।

अगर कोई व्यक्ति इसे पकड़ने या मारने की कोशिश करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ग्रामीणों की भूमिका: संरक्षण में करें मदद –

ग्रामीणों से भी अपील की गई है कि यदि वे जंगल में पैंगोलिन (कहट) देखें, तो तुरंत वन विभाग को सूचित करें। अगर यह जीव संरक्षित नहीं किया गया, तो आने वाले वर्षों में यह सिमडेगा से पूरी तरह लुप्त हो सकता है।

वन विभाग अब स्थानीय लोगों को इस जीव के महत्व और संरक्षण के तरीकों के बारे में जागरूक करने की योजना बना रहा है।

क्या हम इसे बचा पाएंगे?

सिमडेगा के जंगलों में दुर्लभ पैंगोलिन की घटती संख्या चिंता का विषय है। अगर इसे अवैध शिकार और तस्करी से बचाया नहीं गया, तो यह प्रजाति हमेशा के लिए खत्म हो सकती है।

वन विभाग और स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि वे इसके संरक्षण के लिए कठोर कदम उठाएं। साथ ही, ग्रामीणों को भी इसके महत्व को समझते हुए इसे बचाने की दिशा में कदम उठाने होंगे।

अगर सही समय पर प्रयास किए गए, तो यह दुर्लभ प्राणी आने वाली पीढ़ियों के लिए सिमडेगा के जंगलों में सुरक्षित रह सकता है।

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