झारखंड में जून से सस्ती होगी शराब की कीमत, नई आबकारी नीति और वैट में कटौती की संभावनाएं
झारखंड:
झारखंड सरकार राज्य में शराब की कीमतों को कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाने की तैयारी कर रही है।
राज्य की नई आबकारी नीति के तहत सरकार वैट (मूल्य वर्धित कर) में कटौती पर विचार कर रही है, जिससे शराब की कीमतों में उल्लेखनीय गिरावट आ सकती है।
इस पहल का उद्देश्य न केवल राजस्व में वृद्धि करना है, बल्कि राज्य में शराब की अवैध बिक्री और तस्करी पर भी अंकुश लगाना है। इस नई आबकारी नीति की रूपरेखा राज्य सरकार ने नई आबकारी नीति के मसौदे पर काम शुरू कर दिया है।
इस नीति के तहत, शराब की बिक्री और वितरण प्रणाली में सुधार के लिए कई उपायों पर विचार किया जा रहा है।
इनमें वैट दरों में कमी, लाइसेंसिंग प्रक्रिया में पारदर्शिता, और शराब की दुकानों के संचालन में मानकीकरण शामिल हैं।
सरकार का मानना है कि इन सुधारों से न केवल राजस्व में वृद्धि होगी, बल्कि उपभोक्ताओं को भी लाभ मिलेगा।
वैट में संभावित कटौती –
वर्तमान में, झारखंड में शराब पर वैट की दरें पड़ोसी राज्यों की तुलना में अधिक हैं। इससे राज्य में शराब की कीमतें अपेक्षाकृत अधिक हैं, जिसके परिणामस्वरूप अवैध शराब की बिक्री और तस्करी को बढ़ावा मिलता है।
सरकार इस असंतुलन को दूर करने के लिए वैट दरों में कटौती पर विचार कर रही है। यदि यह प्रस्ताव लागू होता है, तो शराब की कीमतों में उल्लेखनीय कमी आ सकती है, जिससे उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी और अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगेगा।
राजस्व में वृद्धि की संभावना –
सरकार का मानना है कि शराब की कीमतों में कमी से उपभोक्ता मांग में वृद्धि होगी, जिससे कुल बिक्री में इजाफा होगा।
इससे राज्य के राजस्व में भी वृद्धि की संभावना है। इसके अलावा, वैट दरों में कटौती से अवैध शराब की बिक्री और तस्करी पर नियंत्रण पाने में मदद मिलेगी, जिससे सरकार को अतिरिक्त राजस्व प्राप्त हो सकता है।
सार्वजनिक प्रतिक्रिया और चुनौतियाँ –
हालांकि सरकार की इस पहल का उद्देश्य राजस्व में वृद्धि और अवैध गतिविधियों पर नियंत्रण है, लेकिन कुछ सामाजिक संगठनों और नागरिकों ने इस पर चिंता व्यक्त की है।
उनका मानना है कि शराब की कीमतों में कमी से इसके उपभोग में वृद्धि हो सकती है, जिससे सामाजिक और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ सकती हैं।
सरकार को इन चिंताओं को ध्यान में रखते हुए संतुलित नीति बनानी होगी, ताकि राजस्व वृद्धि और सामाजिक कल्याण दोनों सुनिश्चित किए जा सकें।
राज्य सरकार ने नई आबकारी नीति के मसौदे पर काम शुरू कर दिया है और विभिन्न हितधारकों से सुझाव आमंत्रित किए हैं। नीति के अंतिम रूप देने से पहले, सरकार सार्वजनिक परामर्श और विशेषज्ञों की राय को ध्यान में रखेगी।
यदि यह नीति सफलतापूर्वक लागू होती है, तो यह झारखंड में शराब की बिक्री और वितरण प्रणाली में एक महत्वपूर्ण बदलाव ला सकती है।