राख बुध के साथ मसीही विश्वासियों का चालीसा-महाउपवास काल शुरू

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राख बुध के साथ मसीही विश्वासियों का चालीसा-महाउपवास काल शुरू :

चालीसा-महाउपवास काल (लेंट) –
राख बुध के साथ ईसाई धर्मावलंबियों का चालीसा काल पांच मार्च से शुरू हो गया।

राख बुध के मौके पर आज देशभर के चर्चों में ईसाई धर्मावलंबी अहले सुबह से ही बिशेष मिस्सा पूजा अनुष्ठान के लिए जुटे हैं।

जगह में कार्डिनल, बिशप, विकर जनरल, डीन, पल्ली पुरोहित, पुरोहित सहित अन्य धर्मगुरुओं की अगुवाई में मिस्सा पूजा का आयोजन किया जा रहा है।

कार्यक्रम के दौरान सभी विश्वासियों को चालीसा काल के दौरान 40 दिनों तक पूरी निष्ठा के साथ आध्यात्म एवं तपस्या संबंधी नियम को पालन करने को कहा गया। साथ ही एक दूसरे की भलाई करने को कहा गया।

नशापान समेत अन्य बुराईयों से दूर रहने को कहा गया।

प्रार्थना, पश्चाताप और चिंतन मनन करने का दिन है चालीसा काल –

इधर बिशप भिंसेन्ट बरवा ने कहा कि चालीसा काल के दौरान मसीही त्याग-तपस्या करते हैं।

ऐसा इसलिए कि कभी चालीस दिनों तक यीशु ने भी घोर तपस्या की थी, दुखभोग किया था।

उसके बाद उनकी परीक्षा हुई। वे विजयी हुए।यह समय प्रभु यीशु मसीह के दुखभोग का समय है।

अगले चालीस दिनों तक विश्वासी प्रार्थना, पश्चाताप और चिंतन मनन के द्वारा यीशु के दुखभोग को स्मरण करेंगे।

चालीसा काल को सफल बनाने के लिए प्रार्थना, उपवास, दान, पश्चाताप और प्रेरणा जैसे पांच दिव्य रत्नों की जरूरत –

विकर जनरल फा इग्नासीयूश टेटे ने कहा कि लेंट यानी की चालीसा काल आत्मिक शुद्धता और ईश्वर के निकट आने में सहायक होता है।

चालीस दिनों के इस आध्यात्मिक सफर को सफल बनाने के लिए प्रार्थना, उपवास, दान, पश्चाताप और प्रेरणा जैसे पांच दिव्य रत्नों की जरूरत होती है।

उन्होंने कहा कि इन पांच रत्नों में भी प्रार्थना, लेंट का केंद्रीय स्तंभ है, जो व्यक्ति को ईश्वर के साथ गहरा और अडिग संबंध स्थापित करने का अवसर देता है।

उपवास के जरिये अपनी भौतिक इच्छाओं पर नियंत्रण रखने की प्रेरणा मिलती है।

क्या है चालीसा काल ?

चालीसा काल में ईसाई समाज के लोग 40 दिनों तक विनती व उपवास की प्रार्थनाओं में शिरकत करेंगे।

कैथोलिक कलीसिया में प्रत्येक शुक्रवार को इस अवधि में क्रूस रास्ता की विधि होगी। इसमें ईसा मसीह के दुखभोग के 14 स्थानों का स्मरण किया जाएगा।

चालीसा काल में मसीही समाज में किसी प्रकार का समारोही कार्यक्रम भी नहीं होगा। शादी विवाह, गृह प्रवेश जैसे कार्यक्रम इस दौरान नहीं होंगे।

चालीसा काल 40 दिनों तक होगा। 40वें दिन मसीही विश्वासी गुड फ्राइडे की विशेष प्रार्थना करेंगे।

इसके बाद ईस्टर-पास्का पर्व मनाया जाएगा और चालीसा काल समाप्त हो जाएगा।

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