अनोखा स्कूल: 30 से अधिक आयु वर्ग के निरक्षरों के लिए चलता है पाठशाला-पढ़ने जाते हैं 1500 से अधिक लोग

अनोखा स्कूल: 30 से अधिक आयु वर्ग के निरक्षरों के लिए चलता है पाठशाला-पढ़ने जाते हैं 1500 से अधिक लोग

अनोखा स्कूल: 30 से अधिक आयु वर्ग के निरक्षरों के लिए चलता है पाठशाला-पढ़ने जाते हैं 1500 से अधिक लोग –

आदिवासी बहुल इस जिले में कागजों में अंगुठा लगाने वाले नहीं आएगें नजर, सभी निरक्षरों को साक्षर बनाने के लिए चल रहा है अभियान ।

इंडिया का अनोखा पाठशाला:
आदिवासी बहुल झारखंड के सिमडेगा जिले में इन दिनों अनोखा पाठशाला (स्कूल) चल रहा है।

अनोखा इसलिए क्योंकि इन पाठशाला में बच्चे नहीं, बल्कि 30 से अधिक उम्र के निरक्षर ग्रामीण पहुंचते हैं।

स्कूल में बैठ कर ये सभी ग्रामीण जीवन के आधे पड़ाव में क, ख, ग, घ सिख रहे हैं। जीवन के आधे पड़ाव में क, ख, ग, घ सीखने की इन ग्रामीणों की ललक देख कर एक बात तो स्पष्ट है कि, आदिवासी बहुल झारखंड के सिमडेगा जिले में बहुत जल्द कागजों पर ठेपा निशान लगाने वाले नजर नहीं आएंगे।

कम से कम हर ग्रामीण आसानी से अपना हस्ताक्षर कर पाएंगे। इसके लिए सभी निरक्षरो को साक्षर बनाने के लिए शिक्षा विभाग के द्वारा “उल्लास” योजना नामक कार्यक्रम चलाया जा रहा है।

इस योजना के तहत सरकारी स्कूलों को जन चेतना केन्द्र बनाया गया है। जहां निरक्षर ग्रामीणों को साक्षर बनाने का कार्य जोर शोर से किया जा रहा है।

जीवन के आधे पड़ाव में भी सीखने की ग्रामीणों में दिख रही है ललक –

शिक्षा विभाग के इस कार्यक्रम में काफी संख्या में ग्रामीण जुड़ रहे हैं। ये सभी निरक्षर ग्रामीण ऐसे हैं, जिन्होंने अपने जीवन का आधा पड़ाव पार कर चुके हैं।

इसके बावजूद इन ग्रामीणों में सीखने की गजब की ललक दिख रही है। ग्रामीण भी अब समय पर स्कूल पहुंच रहे हैं।

“उल्लास” कार्यक्रम के तहत निरक्षरों को साक्षर बनाने की चल रही है योजना –

अनोखा स्कूल: 30 से अधिक आयु वर्ग के निरक्षरों के लिए चलता है पाठशाला-पढ़ने जाते हैं 1500 से अधिक लोग

शिक्षा विभाग द्वारा चलाये जा रहे “उल्लास” कार्यक्रम सफल रहा तो, आने वाले वर्षों में जिन हाथों में कुदाल नजर आता है।

उन हाथों में पेन नजर आएगा। इतना ही नहीं कागजों में अंगुठा लगाने वाले नजर भी नहीं आएगें।

साथ ही ग्रामीणों में जागरूकता बढ़ेगी और अंधविश्वास जैसी रूढ़िवादिता से भी आदिवासी बहुल इस जिले को निजात मिलेगी।

कार्यक्रम के तहत जिले के स्कूलो में दोपहर तीन बजे से जिले के निरक्षरों के लिए अलग से क्लास कराई जाती है।

जहां क्षेत्र के इन निरक्षरो को अक्षर ज्ञान देने का कार्य किया जा रहा है।

15 सौ से अधिक निरक्षरों को साक्षर बनाने का किया जा रहा है प्रयास –

सिमडेगा जिले में लगभग 635 केन्द्र चल रहे है जहां वर्त्तमान में 1500 से ज्यादा निरक्षरो को साक्षर बनाने का कार्य किया जा रहा है।

इन जन चेतना केन्द्र में वर्ष में दो बार परिक्षा का भी आयोजन होता है, परिक्षा में पास करने वाले ग्रामीणों को साक्षर का प्रमाण पत्र दिया जाता है।

सिमडेगा जिले के राउउवि जोकबहार में सबसे ज्यादा 85 निरक्षर ग्रामीण पंजीकृत हैँ।

स्कूल के सहायक शिक्षक प्रेम कुमार ने बताया कि रोजना दोपहर तीन बजे के बाद निरक्षर ग्रामीण को पढ़ाया जाता है।

स्कूल से 20 से ज्यादा ग्रामीणों के साक्षरता का प्रमाण पत्र निर्गत किया जा चुका है।

क्या कहते हैं जिले के अधिकारी –

डीएसई दीपक राम ने बताया कि सरकार के उल्लास योजना के तहत निरक्षरों को साक्षर बनाने के लिए बेहतर कार्य किया जा रहा है।

जिला प्रशासन के सहयोग से आने वाले वर्षो में जिले में कोई भी निरक्षर नहीं रहेगा।

सभी ग्रामीण इतना ज्ञान अर्जित कर लेंगे कि उन्हे अंगुठा लगाने की जरूरत नहीं होगी और वे अपने कार्य सुलभ तरीके से कर सकेंगे।

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