मुर्शिदाबाद में वक्फ कानून को लेकर हुई हिंसा के बीच विवाद से घिरे पूर्व क्रिकेटर यूसुफ पठान

Rohit Baraik
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मुर्शिदाबाद में वक्फ कानून को लेकर हुई हिंसा के बीच विवाद से घिरे पूर्व क्रिकेटर यूसुफ पठान

वक्फ संशोधन कानून 2025:

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ संशोधन कानून के विरोध में अचानक भड़की हिंसा ने प्रशासन को हिला कर रख दिया है।

मामले की गंभीरता इस हद तक बढ़ गई कि कई इलाकों में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं और अब तक 150 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

इस बवाल के बीच बहरामपुर से हाल ही में लोकसभा चुनाव जीतने वाले तृणमूल कांग्रेस के नेता और पूर्व क्रिकेटर यूसुफ पठान भी विवादों में घिर गए हैं।

उन्होंने हिंसा के दौरान इंस्टाग्राम पर एक तस्वीर साझा की थी, जिसमें वह चाय का लुत्फ उठाते हुए दिखाई दिए।

इस पोस्ट पर भाजपा ने कड़ा ऐतराज जताया और उनके रवैये पर सवाल खड़े कर दिए।

बीजेपी ने उठाए सवाल, टीएमसी पर हिंसा भड़काने का आरोप –

भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने एक्स पर एक वीडियो साझा करते हुए कहा कि बंगाल जल रहा है, और ममता बनर्जी सरकार इस हिंसा में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से शामिल है।

उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य में हिन्दुओं को निशाना बनाकर हमले किए जा रहे हैं, गाड़ियां जलाई जा रही हैं और प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है।

शहजाद ने यूसुफ पठान पर निशाना साधते हुए कहा कि जब राज्य में खून बह रहा है, तब एक सांसद चाय की चुस्की ले रहा है।

उन्होंने हाईकोर्ट के दखल पर भी सवाल उठाया और ममता सरकार पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया।

हिंसा किन क्षेत्रों में फैली?

मुर्शिदाबाद जिले के बहरामपुर, जंगीपुर और धुलियां जैसे इलाकों में हिंसा की लपटें देखी गईं।

इसके साथ ही मालदा के समसेरगंज और सुत्ती जैसे कस्बों में भी हालात तनावपूर्ण हैं।

इन क्षेत्रों में वक्फ संशोधन कानून के विरोध में जुलूस निकाले गए थे, जो देखते ही देखते हिंसक हो गए।

सूत्रों के अनुसार, यह हिंसा उस लोकसभा क्षेत्र में नहीं फैली जहाँ से यूसुफ पठान चुनाव जीते हैं, लेकिन उससे लगे इलाकों में अशांति फैली है।

कोर्ट सख्त, केंद्र की तैनाती के आदेश –

हिंसा की बढ़ती गंभीरता को देखते हुए कोलकाता हाईकोर्ट ने हस्तक्षेप करते हुए केंद्र को आदेश दिया है कि प्रभावित इलाकों में केंद्रीय बलों की तैनाती की जाए।

अदालत ने स्पष्ट कहा कि राज्य सरकार ने समय रहते पर्याप्त कदम नहीं उठाए, जो कि चिंता का विषय है।

अदालत ने यह भी कहा कि नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना राज्य का दायित्व है और इसमें कोई कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

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