वक्फ (संशोधन) विधेयक का मुस्लिम संगठनों ने किया विरोध
वक्फ बिल (Waqf Bill):
वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 को लेकर देशभर में बहस छिड़ गई है। इस कानून को लेकर देश की राजनीति भी गरमा गई है। साथ ही मुस्लिम संगठनों ने विधेयक का विरोध कर रहे हैं।
हालांकि सरकार का दावा है कि इस विधेयक से वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता आएगी और भ्रष्टाचार पर रोक लगेगी।
लेकिन मुस्लिम संगठन और विपक्षी दल इसे मुस्लिम समुदाय के अधिकारों पर हमला बता रहे हैं।
इस विधेयक को लेकर देशभर में मुस्लिम संगठनों ने विरोध जताया है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और वक्फ संपत्तियों से जुड़े अन्य संगठनों ने इसे मुस्लिम समुदाय के अधिकारों पर सीधा हमला बताया है। आइए जानते है देश के विभिन्न मुस्लिम संगठनों की प्रतिक्रिया-
1- ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि यह विधेयक वक्फ की स्वतंत्रता पर खतरा है।
बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि वक्फ संपत्तियां सिर्फ मुस्लिम समुदाय की धरोहर हैं। उनमें गैर-मुस्लिमों को अधिकार देना उनके धार्मिक स्वायत्तता के खिलाफ है।
2- जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने इस विधेयक को असंवैधानिक बताते हुए कहा कि सरकार का यह कदम धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करने की कोशिश है। उन्होंने कहा कि वक्फ एक्ट 1995 के तहत मुस्लिम संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित की गई थी। लेकिन इस संशोधन के जरिए सरकार उस पर नियंत्रण पाना चाहती है।
3- दारुल उलूम देवबंद के उलेमा के वरिष्ठ मौलाना ने कहा कि यह विधेयक मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता को सीमित करने का प्रयास है।
5- बिहार, झारखंड और ओडिशा की प्रमुख मुस्लिम संस्था इमारत-ए-शरिया ने भी विधेयक का विरोध किया है। संस्था के महासचिव ने कहा कि वक्फ संपत्तियों पर केवल मुसलमानों का अधिकार है और उसमें सरकारी हस्तक्षेप को किसी भी हालत में स्वीकार नहीं किया जाएगा।