होली 2025: हरा रंग के लिए सूखा पालक साग, गुलाबी के लिए चुकुंदर, पीला के लिए हल्‍दी… जाने कैसे बनाया जाता है हार्बल गुलाल-

होली 2025: हरा रंग के लिए सूखा पालक साग, गुलाबी के लिए चुकुंदर, पीला के लिए हल्‍दी… जाने कैसे बनाया जाता है हार्बल गुलाल-

होली 2025: हरा रंग के लिए सूखा पालक साग, गुलाबी के लिए चुकुंदर, पीला के लिए हल्‍दी… जाने कैसे बनाया जाता है हार्बल गुलाल-

होली 2025:

होली का रंग बाजार में छा चुका है। होली में सबसे अधिक लाल रंग के अलावा केसरिया एवं सिंदूरी रंग का इस्तेमाल किया जाता है। वैसे तो बाजार में रासायनिक रंगों की ही ज्‍यादा मांग होती है।

लेकिन रासायनिक रंगों का स्वास्थ्य पर प्रभाव भी होता है। ऐसे में झारखंड राज्‍य का राजकीय फुल पलाश का उपयोग आज भी जैविक रंग के रुप किया जाता है।

प्राचीन काल में तो यहां के लोग सिर्फ पलाश के फूलों का प्रयोग होली खेलने के लिए रंग के रुप में करते थे।

हालांकि लेकिन वर्तमान में कृत्रिम रासायनिक रंगों की सुलभता ने भले ही लोगों को प्रकृति से दूर कर दिया है।

लेकिन रासायनिक रंगों से होने वाले नुकसान और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता के कारण लोग दोबारा प्रकृति की ओर रुख करते हुए पलाश के फूलों का उपयोग रंगों के लिए करने लगे हैं।

होली में इस राज्‍य के लोग पलाश फुल को जैविक रंग के रुप इसका प्रयोग लोग करते हैं।

पलाश के फूल से ऐसे बनाएं रंग –

palash phool

पलाश के फूल से रंग बनाने के लिए एक किलो पलाश के फूल को छाया में सूखा लें।

सूखे फूलों को दो से तीन लीटर पानी में डालकर दो दिन तक के लिए छोड़ देने के बाद पानी का रंग लाल या सिंदूरी हो जाता है।

इस रंगीन पानी को 20 लीटर पानी में मिलाने पर एक अच्छा रंग तैयार हो जाता है, जिसका इस्तेमाल सुरक्षित होली खेलने के लिए किया जा सकता है।

पलाश के कई फायदे भी हैं –

आयुर्वेद विशेषज्ञ बताते हैं कि पलाश के फूलों के अनगिनत फायदे हैं। इसके कई औषधीय गुण हैं। पलाश के फूल ही नहीं बल्कि इसके पत्ते, टहनी, फली और जड़ तक का आयुर्वेदिक महत्व है।

आयुर्वेद के अनुसार, रंग बनाने के अलावा इसके फूलों को पीसकर चेहरे पर लगाने से चमक बढ़ती है। इसकी फलियां कृमिनाशक का काम करती हैं।

ऐसे तैयार होता है पलाश हार्बल गुलाल –

इस होली झारखंड राज्‍य के सिमडेगा जिले की महिलाओं ने पलाश हार्बल गुलाल तैयार की है।

महिलाओं द्वारा निर्मित हार्बल गुलाल में सूखे हुए पलाश के फूलों का प्रयोग किया जा रहा।

जिसमें हरा रंग बनाने हेतु सूखा हुआ पलक साग, गुलाबी रंग बनाने हेतु चुकंदर, पीला रंग बनाने हेतु हल्दी एवं फूल, लाल रंग के लिये फूल का प्रयोग किया जा रहा है।

जो पूर्ण रूप से प्राकृतिक है। बताया गया कि पलाश ब्रांड के नाम पर निर्मित हार्बल गुलाल त्वचा को किसी भी प्रकार से नुकसान नही पहुंचाता।

बताया गया कि हार्बल गुलाल 200 किलो ग्राम का पैकेट तैयार किया जा रहा है।

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COMMENTS

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    Deepak 4 hours

    Superb

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