जहरीले सांपो को भी मार कर खाते हैं यहां के आदिवासी –
अनोखा सब्जी –
दुनियाभर में कुछ जगहों पर ऐसे अजीबोगरीब चीजों का मांस खाया जाता हैं, जिनके बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे।
कुछ ऐसी ही कहानी झारखंड के कई आदिवासी इलाके की है।
इस राज्य के कई हिस्से में रहने वाले आदिवासियों को जमीन में रेंगने वाली सांपों का मांस बेहद स्वादिष्ट लगता है।
इन इलाके में अगर सांप दिख जाय तो ग्रामीण उसे मारकर पार्टी मनाते हैं।
पार्टी में महुआ शराब, हड़िया के साथ पका हुआ सांप का मांस चखना के रूप में रहता है।
20-25 साल से खा रहे हैं सांप –
सांपों को खाने की परंपरा आज से लगभग 20-25 साल पहले से चली आ रही है।
कई ग्रामीण तो ऐसे भी जिन्होंने जहरीले सांपों तक के मांस का भी सेवन कर चुका है।
सांप का मांस खाने वालों में अजय केरकेट्टा, इलियाजर केरकेट्टा, अजय आदि प्रमुख है।
ऐसे पकाते हैं सांप का मांस –
ग्रामीणों ने बताया कि सांप को मारने के बाद उसे अच्छी तरह से आग में पका देते हैं, इसके बाद यह तैयार हो जाता है।
ग्रामीणों ने बताया कि सांप के मांस का स्वाद खाने में चिकेन जैसा लगता है।
25 से 28 सांप खा चुका है इलियाजर –
जंगलों के बीच मे घर बनाकर रहने वाले इलियाजर केरकेट्टा ने बताया कि उन्हें ठीक ठीक गिनती तो याद नहीं है।
पर अब तक उन्होंने 25 से 28 सांप का मांस खा चुके हैं।
उन्होंने बताया कि उन्होंने न धामना सहित जहरीले सांप जैसे करैत, नाग आदि सांप का मांस खाया है।
उन्होंने बताया कि वे इन सभी सांपों के खाल को बिना हटाए ही पका कर खाए हैं।
सभी सांप का स्वाद लगभग एक जैसा लगता है। उनके अनुसार सांप का मांस चिकेन की तरह स्वादिष्ट लगता है।
धामिन सांप ( Ratsnake ) के मांस का शौकिन है अधिकतर लोग –
यहां अनगिनत ऐसे गांव हैं, जहां के आदिवासी धामिन सांप के मांस का शौकिन है।
इन स्थानों के कई लोग धमना सांप को मार कर उनके मांस का सेवन करते हैं।
हालांकि ग्रामीण सांप का मांस बनाने से पहले सांप के खाल को निकाल देते हैं।
हालांकि लोग शराब पीने दौरान इसके मांस का उपयोग चखना के रुप में उपयोग करते हैं।
क्या कहते हैं चिकित्सक –
चिकित्सकों की मानें तो सभी सांप प्राय: जहरीले रहते हैं।
ऐसी स्थिति में सांपों का सेवन सेहत के लिए हानिकारक साबित हो सकती है।
कभी कभी सांप का सेवन से शहीर में जहर फैलने की भी संभावना बनी रहती है। लोग सांप का मांस खाने से बचे।
सांप का मारना कानून अपराध है। प्राकृतिक संतुलन के लिए सांपों का रहना बेहद जरुरी है।
इसलिए ग्रामीण बेवजह सांपों को मारने से बचे।